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बांग्लादेश में भारत विरोधी आग भड़काने वाले 5 खलनायक कौन? पढ़ें पूरी लिस्ट

Bangladesh Anti-India Groups: 2024 के छात्र आंदोलन से सत्ता में आए मोहम्मद यूनुस को कई कट्टर इस्लामिक संगठनों का समर्थन मिला, लेकिन अब वही संगठन बांग्लादेश में कट्टरपंथ को चरम पर पहुंचा रहे हैं.

बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार को सत्ता में आए करीब डेढ़ साल हो चुके हैं, लेकिन देश में राजनीतिक उथल-पुथल, हिंसा और कट्टरपंथ बढ़ता जा रहा है. मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाले कट्टरपंथ समूह सरकार पर सुधारों में देरी, न्याय न देने और सेक्युलर नीतियों का आरोप लगा रहे हैं. इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की हत्या ने हिंसा को और भड़का दिया है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अब यह ताकतें फरवरी 2026 के चुनाव से पहले अस्थिरता फैलाने की कोशिशें कर रहीं हैं, जिस वजह से बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों यानी हिंदुओं पर हमले बढ़ रहे हैं. UN ह्यूमन राइट्स रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2024 से मार्च 2025 तक 2,326 से ज्यादा मामले दर्ज हुए, जिसमें मंदिरों पर हमले, संपत्ति लूट और हत्याएं शामिल हैं.

बांग्लादेश में बढ़ रहे कट्टरपंथ की वजह सिर्फ यूनुस सरकार ही नहीं, बल्कि 5 बड़े खलनायक हैं…

1. कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाला जमात-ए-इस्लामी

यह ग्रुप शेख हसीना के समय बैन था, लेकिन यूनुस ने सरकार में आते ही बैन हटा दिया. अब यह ग्रुप चुनाव सुधारों की मांग कर रहा है, लेकिन अल्पसंख्यकों पर हमलों और एंटी-इंडिया प्रदर्शनों में भी सक्रिय है. जमात-ए-इस्लामी पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े होने के आरोप भी लगे हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि हादी की हत्या से जमात-ए-इस्लामी को फायदा पहुंचेगा.

2. शरिया कानून लाना चाहता है हिफाजत-ए-इस्लाम

ईस्ट एशिया फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक, यह ग्रुप सुन्नी इस्लामवादियों और उनके विशाल मदरसा नेटवर्क और समर्थकों से मिलकर बना है, जो महिलाओं के अधिकारों और सेक्युलर सुधारों के खिलाफ काम करता है. हिफाजत-ए-इस्लाम ने महिलाओं की संपत्ति में बराबर के अधिकार के प्रस्ताव पर बड़े प्रदर्शन किए हैं. इस ग्रुप के नेता मामुनुल हक ने यूनुस से मुलाकात भी की, क्योंकि वह बांग्लादेश में शरिया कानून लागू करने का दबाव डाल रहे हैं. शेख हसीना ने इस ग्रुप पर पाबंदी लगा रखी थी, लेकिन यूनुस सरकार में इसे रिहाई मिल गई.

3. बांग्लादेश में ISIS के झंडे लहराने वाला हिज्ब-उत-तहरीर

एस. राजारतनम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की रिपोर्ट के मुताबिक, हिज्ब-उत-तहरीर सोशल मीडिया और शिक्षण संस्थानों के जरिए से बांग्लादेशी युवाओं की भर्ती करके तेजी से विस्तार कर रहा है. 2009 में इस ग्रुप पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन 2024 में यूनुस सरकार ने इसे आजाद कर दिया. यह खलीफा बहाली और शरिया की मांग करने वाला ग्रुप है. हिज्ब-उत-तहरीर ने 2024 में यूनुस के समय ढाका में बड़े प्रदर्शन किए थे और ISIS जैसे झंडे भी लहराए थे. यूनुस सरकार पर इसे रोकने में नाकामी के आरोप लग रहे हैं.

4. कट्टर इस्लामिक कल्चर की हिमायत करने वाला इंकलाब मंच

अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ग्रुप की स्थापना जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के बाद हुई. इंकलाब मंच के बड़े नेता शरीफ उस्मान हादी खुद एंटी-इंडिया और कट्टर विचारों वाले नेता थे. हादी की हत्या के बाद इंकलाब मंच ने यूनुस सरकार को गिराने की धमकी दी. पहले यह ग्रुप यूनुस का समर्थक था, लेकिन अब सरकार और इंकलाब मंच में सीधी टक्कर है. नतीजतन, हादी की मौत के बाद हिंसा इस कदर भड़की कि अखबारों के दफ्तर फूंक दिए गए. इंकलाब मंच भी देश में कट्टर इस्लामिक कल्चर लागू करना चाहता है.

5. मामुनुल हक और मुफ्ती जशीमुद्दीन रहमानी का प्रभाव 

मुफ्ती जशीमुद्दीन रहमानी अल-कायदा से जुड़े ग्रुप का नेता था, जिसे यूनुस सरकार में रिहा कर दिया गया था. रहमानी अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बंग्ला टीम (ABT) का प्रमुख है. इस आतंकवादी की रिहाई से भारत के लिए मुश्किलें खड़ी हुईं, क्योंकि यह आतंकी संगठन स्लीपर सेल्स की मदद से जिहादी नेटवर्क बनाने की कोशिश कर रहा है.

मामुनुल हक हिंसा भड़काने के आरोप में जेल गया था, लेकिन फिर रिहा हो गया और अब एक्टिव है. मामुनुल हक बांग्लादेश में इस्लामिक सिद्धांतों को सरकारी नीतियों में लागू करने, शरिया कानून की वकालत करने और पारंपरिक इस्लामी कामों को आगे बढ़ाने वाला नेता माना जाता है.

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