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डॉक्टरी की पढ़ाई के साथ गांव के पांच परिवार गोद लेंगे छात्र-छात्राएं
एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र को अपने डीन के माध्यम से गांवों में चिकित्सा शिविर लगाना होगा। वहां ऐसे परिवारों की पहचान करनी होगी, जिनमें बच्चा कुपोषित हो, एनिमिया का शिकार हो, किसी सदस्य को हाइपर टेंशन, डायबिटीज, हृदय या किडनी संबंधी कोई बीमारी हो।
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से डॉक्टरी की पढ़ाई शुरू करने जा रहे छात्र-छात्राएं गांव के पांच परिवार को गोद लेंगे। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने इस साल अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन गाइडलाइंस 2023 लागू की हैं, जो कि उत्तराखंड के पर्वतीय गांवों की सेहत सुधारने में कारगर साबित हो सकती हैं। यह बदलाव इसी साल से अमल में आ जाएगा।
नए बदलावों के तहत, एनएमसी ने एमबीबीएस के प्रथम वर्ष से ही कोर्स में फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम (एफएपी) जोड़ दिया है। इसके तहत एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र को अपने डीन के माध्यम से गांवों में चिकित्सा शिविर लगाना होगा। वहां ऐसे परिवारों की पहचान करनी होगी, जिनमें बच्चा कुपोषित हो, एनिमिया का शिकार हो, किसी सदस्य को हाइपर टेंशन, डायबिटीज, हृदय या किडनी संबंधी कोई बीमारी हो।
अगर जरूरत होगी तो छात्र अपनी देखरेख में उस बीमार व्यक्ति को अस्पताल में एडमिट भी कराएंगे। साथ ही सरकार की योजनाओं के तहत कम खर्च या निशुल्क इलाज कराएंगे। एक एमबीबीएस छात्र पांच परिवारों को गोद ले सकेगा। अपने पूरे कोर्स के दौरान गोद लिए हुए परिवारों की सेहत का ख्याल रखना होगा।