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देहरादून समेत सभी रूटों पर भी ट्रेनें बगैर कवच तकनीक के दौड़ रही.इन रूटों पर भी खतरा बना हुआ
मुरादाबाद मंडल से रोजाना 275 ट्रेनें देश के विभिन्न शहरों के लिए निकलती हैं, जबकि अकेले देहरादून स्टेशन से साप्ताहिक और नियमित ट्रेनों को मिलाकर रोजाना 17 ट्रेनों दौड़ती हैं।
मुरादाबाद मंडल में देहरादून समेत सभी रूटों पर भी ट्रेनें बगैर कवच तकनीक के दौड़ रही हैं। मुरादाबाद मंडल से रोजाना 275 ट्रेनें देश के विभिन्न शहरों के लिए निकलती हैं, जबकि अकेले देहरादून स्टेशन से साप्ताहिक और नियमित ट्रेनों को मिलाकर रोजाना 17 ट्रेनों दौड़ती हैं। इससे इन रूटों पर भी खतरा बना हुआ है। इसके बावजूद सुरक्षा के लिए रेलवे कवच तकनीक का प्रयोग इन रूटों पर नहीं कर पा रहा है।
ओडिशा के बालासोर में भीषण ट्रेन हादसे के बाद कहा जा रहा है कि रेल मंत्रालय की कवच तकनीक का प्रयोग अगर इस रूट पर हुआ होता तो हादसे को रोका जा सकता था। दरअसल, भारतीय रेलवे ने ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (टीसीएएस) के नाम से देश में एक स्वचालित सुरक्षा प्रणाली विकसित की गई है। इसे ‘कवच’ नाम दिया गया है। यह प्रणाली ट्रेन के लोको पायलट का एक विश्वसनीय साथी है।
अगर लोको पायलट कहीं गति को नियंत्रित करना या ब्रेक लगाना भूल जाता है तो कवच प्रणाली ब्रेक इंटरफेस यूनिट के माध्यम से ट्रेन को नियंत्रित करती है। जबकि, घने कोहरे, बरसात जैसे मौसम के दौरान भी ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करती है। केंद्र सरकार की ओर से बीते साल 2022 में इस प्रणाली को लाया गया था।